दोस्तों, आपका स्वागत है हमारे इस ब्लॉग पे और आज मैं आपके लिए एक बेहद ही मजेदार कहानी (Funny Story in Hindi) लेकर आया हूँ जिसे पढ़कर आपको बहुत मज़ा आने वाला हैं। अतः आप ये कहानी पूरी जरूर पढ़े।
तो चलिए कहानी शुरू करते है – “अगेरह वगैरह की मजेदार कहानी हिंदी में”
“अगेरह वगैरह” – एक मजेदार कहानी हिंदी में
एक समय की बात है किसी गाँव में जगत नाम का एक पंडित रहता था जो दोनों आँखों से अँधा था जो गाँव के बाहर एक झोपड़ी में रहता था। एक दिन उस गाँव में एक सेठ के घर रसोई का आयोजन किया गया जिसमे आसपास के गावों के कई पंडितो को भोजन का निमंत्रण दिया गया।
और इसी प्रकार गाँव के बाहर रहने वाले उस पंडित को भी भोजन का निमंत्रण देने के लिए सेठ ने अपने नौकर को भेजा। जब नौकर सेठ के घर पहुंचा तो उसने पंडित को आवाज लगायी तो पंडित घर से बाहर आकर बोला, “कौन है भाई….!”
नौकर ने अपना परिचय दिया और कहा कि आज गाँव में सेठ के घर एक बड़ी रसोई का आयोजन किया जा रहा है और जिसमें आपको भी भोजन का निमंत्रण भेजा है सेठ जी ने।
पंडित – अच्छा…!!… फिर तो मैं जरूर आऊंगा वहाँ।
नौकर – “हां पंडित जी जरूर, आप तैयार रहना मैं आपको लेने आ जाऊंगा।” (ऐसा कहकर नौकर जाने लगा)
(नौकर मुड़ा ही था कि तभी पंडित फिर से बोला)…. अरे लेकिन ये तो तुमने बताया ही नहीं कि आज खाने में क्या क्या बनाया है ?
नौकर रुककर बोला – “पंडित जी…..!! गांव के सेठ जी का प्रोग्राम है, कोई छोटा मोटा आयोजन थोड़े न है ! आप चिंता न करें ,सब कुछ बनाया जायेगा खाने में।”
पंडित – “अरे …..मैंने तो बस ऐसे ही पूछ लिया।”
नौकर – आप चिंता न करे वहाँ सब कुछ मिलेगा खाने में- हलुआ-पुरी, सेव नमकीन, मिठाई, बर्फी अगेरह-वगैरह।
पंडित – हाँ, हाँ मुझे मालुम था कि ऐसा ही कुछ होगा, मैं वहाँ पहले भी खा चुका हूँ।
नौकर के जाने के बाद जगत पंडित मन ही सोचने लगा कि यार वो सब तो ठीक है परन्तु ये अगेरह वगैरह क्या है? यह अब भी समझ नही आया। यह तो कोई नया पकवान लगता है इस बार।
अगर ऐसा हैं तब तो जरूर जाऊंगा इस बार, देखू तो सही कैसा लगता है ये अगेरह वगैरह।
शाम होने पर सेठ का नौकर पंडित को खाने पर ले आया और पंडित को एक पंगत मे बैठा दिया।
पंडित की जिग्यासा अब और ज्यादा बड़ने लगी कि आज तो मजा आ जायेगा नया पकवान (अगेरह वगैरह) खाकर।
पंडित ये सब सोच ही रहा था कि तभी दौना-पत्तल लग गए और भोजन परोसा जाने लगा।
अब पंडित की स्वादेंद्रिया जाग उठी। अब जैसे ही पत्तल में कोई पकवान रखा जाता पंडित तपाक से उसे छुकर यह जानने की कोशिश करता कि वह क्या है और सोचता … अच्छा ये तो रसगुल्ला है, अरे ये तो मिठाई है, हां ये तो बर्फी है… ये सब तो मैं कई बार खा चूका हूँ।
मुझे तो बस वो मिल जाये अब, सबसे पहले तो मैं उसे ही चखूँगा और बाकि सब बाद में।
धीरे- धीरे पत्तल भरती गयी और पंडित इसी तरह सभी पकवानो को उत्सुकता से जाँचता रहा परन्तु उसे अब भी इंतज़ार था उस अनजान और मायावी चीज का जिसके लिए वो आज पूरे दिन भर नमक का पानी पी पीकर अपनी भूख को बढ़ाता रहा।
आखिर कब आएगा वो अगेरह वगैरा……. मेरी पूरी पत्तल भर चुकी है अब तो। (पंडित मन ही मन सोचते हुए)
तभी किसी की आवाज आयी कि भोजन शुरू किया किया जाये।
तभी……!!!
“अरे ये क्या ……! अभी तो मेरा वो……..!! कब लाओगे” ……???? (पंडित जोर जोर से बुदबुदाने लगा )
अरे कही ऐसा तो नहीं कि किसी ने जल्दीबाजी में रख दिया हो इधर उधर। (पंडित अपने दोनों हाथो से उसे ढूंढ़ने लगा)
तभी उसने पत्तल के बाहर एक गोल गोल चीज (गोल पत्थर) को छुआ तो मन थोड़ा शांत हुआ।
“हां यही होगा शायद …….. और कितने मुर्ख लोग है……..खाने की चीज को भी ऐसे ही रख जाते है।”
अब पंडित उस गोल चीज को पाकर बहुत खुश था, तभी उसने सोचा कि ये सब व्यंजन तो मैं बाद में खाऊंगा पहले इसका स्वाद लिया जाये कि लगता कैसा है और कैसा स्वाद है इसका।
तभी पंडित ने उस अदभुद चीज को उठाया और जैसे ही मुँह में दबाया तो……. “अरे……!! ये क्या……इतना भारी और कठोर….!!! “। पंडित ने फिर जोर से दातों में दबाया तो इस बार मुँह से जोरदार आह निकल पड़ी।
“अरे भगवान कितना सूखा हुआ है ये….. कैसे खाया जाये इसे…..!! इसे तो दातों से तोडना भी मुश्किल है। अब क्या करे इसका…..?? “
तभी पंडित को एक उपाय सुझा “लगता है इसे फोड़ना पड़ेगा, हो सकता है इसके अंदर कोई गुठली जैसा आइटम निकले “
तभी पंडित को लगा कि सामने कोई दिवार है और शायद उससे टकराने पर उसका वो अगेरा वगैरा फूट जाये। और तभी उसने आव देखा न ताव और सामने दिवार समझकर दे मारा जोर से।
कि तभी …….!!! (सामने से किसी के जोर से चिल्लाने की आवाज आयी )
“आह……… फूट गया रे ……. मेरा तो ……..!!!!” (सामने पंगत में बैठा हुआ आदमी दर्द से चिल्ला उठा क्यूंकि पत्थर की जोरदार चोट से उसका सर फूट गया था)
तभी पंडित गुस्से में बोला …… ओये खाना मत ये मेरा आइटम है, फूट गया तो ला वापस दे दे मुझे ।…..!!! ” (पंडित को लगा कि उसका अगेरा वगैरा फूट गया है)
तभी सामने वाला आदमी भयंकर गुस्से में होकर बोला……. हाँ जरूर….. रुको महाराज…. अभी देता हूँ आपको! (और फिर सामने वाला आदमी टूट पड़ा उस पंडित पर)
-: कहानी समाप्त :-
अंत में :
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