आज इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि चट्टान किसे कहते हैं और चट्टान कितने प्रकार की होती हैं?
चट्टान किसे कहते हैं?
भूपटल एवं पृथ्वी की ऊपरी सतह पर पाया जाने वाला ऐसा पदार्थ जो एक या एक से अधिक पदार्थो से मिलकर बना हो जिसकी प्रकृति कठोर एवं रेत जैसी मुलायम हो शैल या चट्टान कहलाता हैं।
चट्टान के प्रकार:
निर्माण विधि के आधार पर चट्टानें तीन प्रकार की होती हैं।
1. आग्नेय चट्टानें (Igneous Rocks):
आग्नेय चट्टानों का निर्माण मैग्मा के ठंडा होकर जमने एवं ठोस होने से होता हैं। चूँकि सर्वप्रथम इसी चट्टान का निर्माण हुआ, अतः इसे प्राथमिक चट्टान (Primary Rock) भी कहा जाता हैं।
ये आधारभूत चट्टाने हैं, जिनसे परतदार एवं रूपांतरित चट्टानों का निर्माण होता हैं।
ये चट्टानें रवेदार होती हैं जब मैग्मा धरातल पर आकर ठंडा होता हैं, तब तीव्र गति से ठंडा होने के कारण चट्टानों के रवे बहुत बारीक़ होते हैं, जैसे – बेसाल्ट।
इसके विपरीत जब मैग्मा धरातल के नीचे ठंडा होता हैं, तब धीरे धीरे जमने के कारण रवे बड़े-बड़े होते हैं, जैसे ग्रेनाइट।
ग्रेनाइट, रायोलाइट, बेसाल्ट, पेग्माटाइट (Pegmatite), साइनाइट (Syenite), डायोराइट (Diorite), ऐंडेसाईट (Andesite), गैब्रो (Gabro), डोलेराइट (Dolerite), पेरीडोटाइट (Peridotite), आदि आग्नेय चट्टानों के उदाहरण हैं।
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मध्यवर्ती आग्नेय चट्टानों के विभिन्न रूप:
(i) बैथोलिथ (Batholith):
ये प्रायः गुंबद के आकार के होते हैं जिनके किनारे तीव्र ढाल वाले एवं आधार तल अधिक गहराई में होता हैं। इनका ऊपरी भाग अत्यधिक असमान (irregular) एवं उबड़ खाबड़ होता हैं।
ये सैकड़ो किलोमीटर लम्बे, 50 से 80 किलोमीटर चौड़े एवं काफी अधिक मोटे होते हैं। बैथोलिथ ग्रेनाइट चट्टानों के रूप में विश्व के अधिकांश पर्वतों के कोर (Core) मौजूद हैं।
(ii) लैकोलिथ (Lacolith):
पृथ्वी की धरातल के निकट परतदार चट्टानों के बीच गुंबदाकार सरंचना में मैग्मा के जमने के कारण इसका निर्माण होता हैं।
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(iii) फैकोलिथ (Phacolith):
जब मैग्मा का निक्षेप तरंगो के रूप में होता हैं तो इसे फैकोलिथ कहा जाता हैं। मोड़ो की अपनति (Anticline) एवं अभिनति (Syncline) में लावा के जमाव के फलस्वरूप इस सरंचना का विकास होता हैं।
(iv) लोपोलिथ (Lopolith):
जब लावा का जमाव धरातल के नीचे अवतल आकार वाली छिछली बेसिन में होता हैं, तो एक तस्तरीनुमा सरंचना का निर्माण होता हैं, जिसे लोपोलिथ कहा जाता हैं।
(v) सिल (Sill):
जब लावा का जमाव चट्टानों की दो परतों के बीच होता हैं तो सिल का निर्माण होता हैं। यह प्रायः चट्टानों की परतों के समानांतर होता हैं।
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(vi) डाइक (Dyke):
सिल के विपरीत डाइक में मैग्मा का जमाव परतों के लंबवत होता हैं। इनकी लंबाई कुछ मीटर से सैकड़ों कि.मी. हो सकती हैं।
पूर्व की चट्टानों के ऊपर स्थित बेसाल्ट चट्टान टोपी (Caps) के समान दिखाई पड़ता हैं। इस प्रकार की स्थलाकृति को ‘मेसा’ (Mesa) कहा जाता हैं। अपरदन के कारण मेसा का अधिकांश भाग काट जाता हैं एवं उसका आकार छोटा होने लगता हैं।
इस अत्यंत छोटी आकार वाली ‘मेसा’ को ‘बुटी’ (Butte) कहा जाता हैं। धरातल के नीचे परतदार चट्टानों के बीच स्थित लावा गुंबद (जैसे लैकोलिथ) के ऊपर की मुलायम चट्टानें अपरदन द्वारा नष्ट होती जाती हैं।
इस प्रकार लावा गुंबद धरातल पर दिखने लगता हैं एवं यह अवरोधक (resistent) चट्टान संकरी एवं लंबी कटक में परिवर्तित हो जाता हैं। इस प्रकार की स्थलाकृति को ‘हौगबैक’ (Hogback) कहा जाता हैं।
हौगबैक से मिलती जुलती एक स्थलाकृति हैं जिसका ढाल एवं डिप (Dip) झुका हुआ हो ‘कवेस्टा’ (Questa) कहलाती हैं।
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2. अवसादी/तलछटी/परतदार चट्टानें (Sedimentary or Stratified Rocks):
ये वो चट्टानें हैं जिनका निर्माण विखंडित ठोस पदार्थों, जीव-जन्तुओं एवं पेड़-पौधो के जमाव से होता हैं। इस चट्टानों में अवसादों को विभिन्न परतें पायी जाती हैं। इन चट्टानों में जिवावशेष (Fossils) पाए जाते हैं।
धरातल का 75% भाग इन्हीं अवसादी चट्टानों से ढका हुआ हैं एवं शेष 25% भाग आग्नेय एवं रूपांतरित चट्टानों से आवृत हैं।
यद्यपि अवसादी चट्टानें धरातल का अधिकांश भाग आवृत किये हुए हैं, फिर भी भू पटल के निर्माण में इनका योगदान 5% ही हैं, शेष 95% भाग आग्नेय एवं रूपांतरित चट्टानों से निर्मित हैं।
इस प्रकार परतदार चट्टानों का महत्व क्षेत्रीय विस्तार की दृष्टि से हैं, भू-पृष्ठ में गहराई की दृष्टि से नहीं।
इनका निर्माण अधिकांशतः जल में होता हैं परन्तु लोयस जैसी परतदार चट्टानों का निर्माण पवन द्वारा जल के बाहर भी होता हैं।
बोल्डर क्ले (Boulder Clay) या टिल (Till) हिमानी द्वारा निक्षेपित परतदार चट्टानों के उदाहरण हैं, जिसमें विभिन्न आकार के चट्टानी टुकड़े मौजूद रहते हैं।
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उत्पत्ति एवं संघटन (Origin and Composition) के आधार पर परतदार चट्टानों को तीन मुख्य वर्गों में विभाजित किया जा सकता हैं:
(i) यांत्रिक क्रियाओं द्वारा निर्मित अथवा चट्टानों के विखंडित पदार्थों से निर्मित:
- पवन द्वारा निर्मित जैसे- लोएस।
- हिमानी द्वारा निर्मित जैसे- बोल्डर क्ले।
- जल द्वारा निर्मित, जैसे – बलुआ पत्थर (Sand Stone), गोलाश्म (Conglomerate), चीका मिटटी (Clay), शेल (shel) आदि। शिल्ट एवं क्ले के संगठित होने से शेल का निर्माण होता हैं।
(ii) जैविक तत्वों द्वारा निर्मित (Organically Formed or non Clastic Rock):
- जीव जन्तुओं द्वारा निर्मित, जैसे – चूना पत्थर (Lime Stone) खड़िया (Chalk).
- पेड़ पौधों द्वारा निर्मित, जैसे पीट (Peat), कोयला, लिग्नाइट।
(iii) रासायनिक तत्वों द्वारा निर्मित ( Chemically Formed):
डोलोमाइट (Dolomite), सेंधा नमक (Rock Salt), जिप्सम, चूना पत्थर (Limestone) आदि।
3. रूपांतरित या कायांतरित चट्टानें (Metamorphic Rocks):
जब ताप, दबाव, रासायनिक क्रियाओं आदि के प्रभाव से आग्नेय एवं परतदार चट्टानों का रूप परिवर्तित हो जाता हैं, तो रूपांतरित चट्टानों का निर्माण होता हैं।
कभी कभी रूपांतरित चट्टानों का भी रूपांतरण हो जाता हैं। इस प्रक्रिया को पुनः रूपांतरण कहा जाता हैं। रूपांतरण के फलस्वरूप चट्टानों की मूलभूत विशेषताएं जैसे – घनत्व, रंग, कठोरता, बनावट, खनिजों की संगठन आदि आंशिक या पूर्ण रूप से परिवर्तित हो जाता हैं।
रूपांतरण मुख्य रूप से दो प्रकार का होता हैं:
(i) तापीय एवं संस्पर्शीय रूपांतरण (Contact and Thermal Metamorphism):
इस प्रकार के रूपांतरण में ताप प्रमुख कारण होता हैं। उदाहरण के लिए जब ज्वालामुखी क्रिया के फलस्वरूप तप्त मैग्मा बाहर निकलता हैं तो मैग्मा के संपर्क क्षेत्र की चट्टानें रूपांतरित हो जाती हैं।
इस प्रकार के रूपांतरण के कारण चूना पत्थर संगमरमर में परिवर्तित हो जाता हैं।
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(ii) क्षेत्र एवं गतिक रूपांतरण (Regional and Dynamic Metamorphism):
इस प्रकार के रूपांतरण में दबाव का प्रभाव महत्वपूर्ण होता हैं एवं ताप का प्रभाव गौण। इस प्रकार की रूपांतरण की क्रिया एक विस्तृत क्षेत्र में घटित होती हैं।
उदाहरण के लिए सम्पीड़न गति के कारण पड़ने वाले दबाव के फलस्वरूप निर्मित रूपांतरित चट्टानों के उदाहरण हिमालय एवं रॉकी जैसे पर्वतीय प्रदेशों में देखने को मिलते हैं।
चट्टानों के परिवर्तित स्वरूप:
आग्नेय चट्टान | रूपांतरित रूप |
(i) ग्रेनाइट | नाइस (Gneiss) |
(ii) बेसाल्ट | एम्फी बोलाइट |
(iii) गैब्रो | सरपेंटाइन (Serpentine) |
परतदार चट्टान | रूपांतरित रूप |
(i) बालू पत्थर | क्वार्टजाइट |
(ii) चूना पत्थर | संगमरमर |
(iii) शेल | स्लेट |
(iv) कोयला | ग्रेफाइट, हीरा |
रूपांतरित चट्टान | पुनः रूपांतरित चट्टान |
(i) स्लेट | शिष्ट (Schist) |
(ii) शिष्ट | फायलाइट (Phylite) |
FAQ (Chattan Kise Kahate Hain | Chattan Kya Hai):
चट्टान किसे कहते हैं यह कितने प्रकार का होता है?
भूपटल एवं पृथ्वी की ऊपरी सतह पर पाया जाने वाला ऐसा पदार्थ जो एक या एक से अधिक पदार्थो से मिलकर बना हो जिसकी प्रकृति कठोर एवं रेत जैसी मुलायम हो शैल या चट्टान कहलाता हैं। यह शैल मुख्यतया तीन प्रकार की होती है – आग्नेय शैल, अवसादी शैल, रूपांतरित/कायांतरित शैल
कायांतरित चट्टानें कैसे बनती हैं?
भूगर्भ में पहले से स्थित आग्नेय एवं अवसादी चट्टानें अधिक दाब एवं ताप कारण अपना स्वरूप बदल लेती हैं इन्हे ही कायांतरित चट्टानें कहा जाता है।
कायांतरित चट्टान का उदाहरण क्या है?
संगमरमर या मार्बल, क्वार्ट्जाइट
चट्टान की 5 विशेषताएं क्या हैं?
चट्टान की 5 मुख्य विशेषताएँ रंग, धारियाँ, दरार, चमक और कठोरता हैं।
आग्नेय चट्टान कितने प्रकार के होते हैं?
ग्रेनाइट, बेसाल्ट, गैब्रो, ऑब्सीडियन, डायोराईट, डोलोराईट, एन्डेसाईट, पेरिड़ोटाईट, फेलसाईट, पिचस्टोन, प्युमाइस इत्यादि आग्नेय चट्टानों के प्रमुख उदाहरण है।
सबसे ज्यादा कठोर चट्टान कौन सी है?
आग्नेय या इग्नीअस चट्टान सबसे कठोर चट्टान होती है।
आग्नेय चट्टान का अर्थ क्या है?
ज्वालामुखी के लावा के ठंडे होकर जमने से जो चट्टान बनती है उसे आग्नेय चट्टान कहा जाता है।
तो इस लेख में आपने जाना कि चट्टान किसे कहते हैं, चट्टान के प्रकार क्या हैं? अगर जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें। यदि कोई सवाल या सुझाव हो नीचे कमेंट जरूर करें।
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