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प्रेरक कहानियां हिंदी में | Prernadayak Kahaniya in Hindi – Best Stories 2024

प्रेरक कहानियां हिंदी में

-: शेर और सोने का कंगन :-

एक समय की बात हैं। किसी जंगल में एक शेर रहता था। लेकिन समय के साथ वह बूढ़ा हो गया था और इस वजह से वह ज्यादा चल फिर नहीं पाता था। इस कारण उसे अब शिकार करने में बहुत दिक्क्त होने लगी थी और शिकार न मिलने के कारण उसे कई दिनों तक भूखा ही रहना पड़ता था।

इस प्रकार भूख के कारण अब वह दिनों दिन कमजोर होता जा रहा था। एक दिन अचानक उसे जंगल में कहीं से एक सोने का कंगन मिल गया।

तभी उसे एक उपाय सुझा वो उस सोने के कंगन को लेकर एक छोटे से तालाब के किनारे बैठ गया। और वहां आने जाने वाले जानवरों को उस कंगन का लालच देकर पास बुलाता और जो भी उसके लालच में आकर उसके पास आता वो उसका शिकार कर लेता।

इस प्रकार एक दिन एक ब्राह्मण उस तालाब के किनारे से गुजर रहा था। ब्राह्मण को उधर आता देखकर शेर को अचानक एक उपाय सूझा और वो जोर जोर जोर से राम नाम का जाप करने लगा।

ब्राह्मण ने जब वो आवाज सुनी तो वो उस तरफ चल दिया। वहां जाकर ब्राह्मण ने देखा कि एक बूढ़ा शेर सच में राम नाम का जाप कर था।

ये देखकर ब्राह्मण ने शेर से कहा- हैं जंगल के राजा! आज आप ये जाप क्यों कर रहे हैं?

ब्राह्मण की बात सुनकर बूढ़े शेर ने कहा – हैं ब्राह्मण देव ! मैं अब बूढ़ा हो चूका हूँ। मैंने अपनी पूरी जिंदगी में दूसरो का शिकार किया हैं लेकिन अब मैंने शिकार करना छोड़ दिया हैं।

इसलिए अब इस बुढ़ापे में भगवान का नाम लेते हुए ही अपना बाकि जीवन गुजारना चाहता हूँ। देखो! मेरे पास ये सोने का कंगन हैं जिसे मैं किसी ऐसे इंसान को देना चाहता हूँ जो बेहद ईमानदार हो और धार्मिक प्रवृत्ति का इंसान हो। और बहुत दिनों से मुझे ऐसे व्यक्ति की तलाश थी और आज मेरी तलाश पूरी हो गयी हैं।

इसलिए मैं आपको ही इस सोने के कंगन को देना चाहता हूँ। आओ अब जल्दी से पास आकर इस कंगन को ले जाओ।

ये देखकर ब्राह्मण के मन में लालच आ गया लेकिन उसे थोड़ा डर भी लग रहा था।

ये देखकर शेर ने फिर कहा- क्या सोच रहे हो ब्राह्मण देव? अब ज्यादा मत सोचो और जल्दी से मेरे पास आकर इस कंगन को ले जाओ और मुझे इस जीवन से मुक्ति दिलाओ। क्या पता मेरी मुक्ति आपके हाथों में लिखी हो!

शेर की बात सुनकर अब ब्राह्मण को शेर पे यकीन हो गया और वह धीरे धीरे शेर के पास जाने लगा। इधर शेर इसी मौके का इन्तजार कर रहा था कि कब वो ब्राह्मण उसके पास आये।

और जैसे ही ब्राह्मण शेर के नजदीक आया तो मौका देखकर शेर ने उस ब्राह्मण को दबोच लिया और उसे अपना शिकार बना लिया।

कहानी से शिक्षा: लालच बुरी बला हैं।

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-: बगुला भगत :-

एक जंगल में एक बड़ा सा तालाब था उसमें एक बगुला रहता था लेकिन बूढ़ा होने की वजह से अब वो मछलियों का शिकार कर पाने में असमर्थ था। इसलिए अब उसने एक चाल चली। अब वो एक टांग से पानी में खड़ा होकर भक्ति करने लगा। ये बात जानकर तालाब के सभी प्राणियों को बेहद ख़ुशी हुई और अब वे उसे बगुला भगत कहकर बुलाने लगे।

इस पक्रार धीरे धीरे सब उस बगुले के पास आते जाते रहते। एक दिन बगुला थोड़ा उदास होने का नाटक करता हैं। उसे उदास देखकर तालाब के सभी प्राणीयों को चिंता होने लगी और वो उस बगुले के पास गए और उससे उदास होने का कारण पूछा।

तब बगुले ने कहा – आप सब लोगों को मेरी कितनी चिंता हैं ये जानकर मुझे बड़ी ख़ुशी हुई। लेकिन मेरी चिंता का एक मात्र कारण ये हैं कि अब थोड़े दिनों बाद इस तालाब में सूखा पड़ने वाला हैं जिसके कारण यहाँ के सभी प्राणियों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा हैं। ऐसा मेरी दिव्य शक्तियां कह रही हैं।

ये सुनकर तालाब के सभी प्राणी भी चिंता में डूब गए और कहने लगे – तो अब हमें क्या करना चाहिए और इस मुसीबत से कैसे बचें।

तब बगुला बोला – तुम सब चिंता मत करो। मेरे पास इसका एक अच्छा उपाय हैं। वो ये हैं कि यहाँ से थोड़ी दूर एक इससे भी बड़ा तालाब हैं और मैं एक एक करके तुम सबको वहां पहुंचा दूंगा। तो बस हो गया समाधान।

बगुले की ये बात सुनकर तालाब के सभी जंतु थोड़े खुश हुए और उन्होंने बगुले की बात मान ली। इसके बाद बगुला एक एक करके उस तालाब की मछलियों को चोंच में उठाकर ले जाता और वहां से थोड़ी दूर ले जाकर एक चट्टान पर गिराकर मार देता और खा जाता।

इसके बाद बगुला वापस आकर सबसे कहता कि उस बड़े तालाब में जाकर सके सब बेहद खुश हैं और वहां उन्हें अब कोई दिक्क्त नहीं हैं। बगुले की इस बात से तालाब के बाकि बचे जीव जंतुओं को बेहद ख़ुशी हुई।

इस तरह एक दिन एक बड़े से केकड़े की बारी आयी। अब वो केकड़ा बगुले के गले में लिपटकर ख़ुशी – ख़ुशी चलने को तैयार हो गया।

प्रेरक कहानियां हिंदी में, Prernadayak Kahaniya in Hindi
प्रेरक कहानियां हिंदी में | Prernadayak Kahaniya in Hindi

इसके बाद बगुला केकड़े को लेकर आसमान में उड़ने लगा। थोड़ी देर बाद बगुला बोला – ‘अरे ओ केकड़े देख नीचे वो बड़ा सी चट्टान! वहां तेरे सब संगी साथीयों की हड्डियां पड़ी हुई हैं, मैंने उन सभी को इसी चट्टान पे लाकर मार कर खा लिया हैं। और हां वो बड़े तालाब वाली बात बिल्कुल झूठ हैं। यहाँ ऐसा कोई तालाब नहीं हैं। ले देख! अब मैं तेरा भी ये ही हश्र करने वाला हूँ।

बगुले की ये बात सुनकर केकड़े को बहुत गुस्सा आ गया और तभी उसने बगुले की गर्दन को अपने पैने पंजो से कस कर पकड़ लिया और बगुले की गर्दन को काटने लगा और इस तरह उसने बगुले को मार दिया।

कहानी से सार: बुरे कर्मो का अंत हमेशा बुरा ही होता हैं।

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Rakesh Verma

Rakesh Verma is a Blogger, Affiliate Marketer and passionate about Stock Photography.

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