आज इस पोस्ट में आप आसान भाषा में जानेंगे कि अलनीनो क्या है, एल नीनो और ला नीना में क्या अंतर है? अतः इस पोस्ट को last तक जरूर पढ़े।

अल नीनो प्रभाव क्या है?

1 . अलनीनो क्या है (El-Nino Effect):

अलनीनो प्रभाव क्या हैं? ये एक ऐसी समुद्री घटना है जो उष्ण कटिबंधीय प्रशांत महासागर क्षेत्र के समुद्र के तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आये बदलाव के लिए जिम्मेदार हैं। 

अलनीनो मूलरूप से स्पैनिश भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है- छोटा बच्चा। ये नाम पेरू के मछुआरों द्वारा दिया गया हैं। 

लगभग 3 से 8 वर्षों के अंतराल के पश्चात महासागरों एवं विश्व की जलवायु में एक विचित्र परिवर्तन देखने को मिलता है।

इसकी शुरुआत पूर्वी प्रशांत महासागर से होती है एवं लगभग एक वर्ष की अवधि के लिए इसका प्रभाव सम्पूर्ण विश्व में फैल जाता है। 

19 वीं शताब्दी में ही पेरू के मछुआरों ने यह पाया कि पेरू के तट पर कुछ वर्षों के अंतराल पर एक गर्म जलधारा प्रवाहित होने लगती है।

इस गर्म जलधारा की उत्पत्ति, क्रिसमस के समय होती है एवं इसके प्रभाव से इस महासागरीय क्षेत्र में मछलियां विलुप्त हो जाती हैं। 

इसे उन्होंने ‘क्रिसमस के बच्चे की धारा’ (Corriente del Nino) का नाम दिया। 

अलनीनो प्रभाव क्या है | एल नीनो और ला नीना में अंतर
अलनीनो प्रभाव क्या है

अल नीनो की उत्पत्ति के साथ ही तटवर्ती क्षेत्र में सतह के नीचे के जल का ऊपर आना बंद हो जाता है। इसके फलस्वरूप ठंडे जल का स्थानांतरण पश्चिम से आने वाले गर्म जल द्वारा होने लगता है और इस ठंडे जल के जमाव के कारण पैदा हुए पोषक तत्वों को नीचे खिसकना पड़ता हैं। 

जिसके कारण प्लैंकटन तथा मछलियां विलुप्त होने लगती हैं। इन मछलियों पर निर्भर रहने वाले अनेक पक्षी भी मरने लगते हैं। इसे ही अल – नीनो प्रभाव कहा जाता हैं। 

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अल-नीनो का प्रभाव:

अल-नीनो उत्पन्न होने से दक्षिणी अमेरिका से दक्षिणी-पूर्वी एशिया तक विस्तृत प्रशांत महासागर के भूमध्य रेखीय खंड में समुद्र तल पर तापमान एवं वायुदाब संबंधी परिवर्तन बृहद पैमाने पर होते हैं।

उत्तरी ऑस्ट्रेलिया, न्यू गिनी, पूर्वी द्वीप समूह के निकट न्यून वायु भार एवं उच्च तापमान होता हैं।

यह परिवर्तित होकर उच्च वायुभार क्षेत्र में तब्दील हो जाता है जिससे पूर्वी प्रशांत महासागर के विषुवत रेखीय खंड में वायुभार सामान्य से कम हो जाता है एवं भारी वर्षा होती है जबकि ऑस्ट्रेलिया सूखाग्रस्त क्षेत्र हो जाता हैं।

इस घटना का विश्व व्यापी प्रभाव भी देखने को मिलता है जैसे कई क्षेत्रों में वर्षा का बदलना। इसके फलस्वरूप कई क्षेत्रों में वर्षा की अनिश्चितता एवं अनियमितता देखने को मिलती है।  

इसके कारण कई जगह ज्यादा बरसात तो कई जगह बहुत ही कम बरसात होती हैं। इसका अलावा कुछ जगह तो सूखे के हालात भी बन जाते है। अल – नीनो के प्रभाव से चक्रवातों की बारम्बारता एवं प्रबलता बढ़ जाती है।

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अल-नीनो से प्रभावित क्षेत्र:

  • अमेरिका का दक्षिणी एवं आंतरिक भाग भारत के दक्षिणी भाग में सामान्य से अधिक वर्षा।
  • दक्षिणी कैलिफोर्निया में सामान्य से अधिक वर्षा।
  • पेरू इक्वेडोर कोलंबिया तथा बोलीविया में पर्वतीय क्षेत्रों में भारी वर्षा।
  • पश्चिमी प्रशांत, दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भाग, दक्षिण पूर्वी अफ्रीका तथा उत्तरी भारत में सूखा पड़ता हैं।
  • भारत में मानसून काल में सामान्य से कम वर्षा होती है

2 . ला – नीनो प्रभाव (La Nino Effect):

अल नीनो की घटनाओं के बीच एक विपरीत एवं पूरक घटना देखने को मिलती है। जिसे ला-नीनो (La Nino) कहा जाता है। 

इसका मुख्य कारण ग्रीष्म ऋतु में दक्षिणी प्रशांत महासागर में उपोष्ण कटिबंधीय उच्च वायुभार पेटी का सामान्य से अधिक प्रबल होना हैं।

ला-नीनो घटना के समय मध्य एवं पूर्वी प्रशांत महासागर की सतह का तापमान न्यूनतम हो जाता हैं।इसके कारण तीव्र स. पू. वाणिज्य पवन चलने लगती हैं। 

इस पवन के प्रभाव से पूर्वी प्रशांत महासागर के सतह का जल, जलधारा के रूप में पश्चिम की और प्रवाहित होने लगता है एवं नीचे का जल ऊपर आ जाता है। 

ला-नीनो का संबंध उत्तरी अमेरिका के सूखा से सम्बंधित माना जाता है। इसके विपरीत भारत में ला-नीनो के प्रभाव से अच्छी वर्षा होती है।

उम्मीद करता हूँ कि शायद अब आपको ये अच्छे से समझ आ गया होगा कि अलनीनो प्रभाव क्या है एवं एल नीनो और ला नीना में अंतर क्या होता हैं।

FAQs (Frequently Asked Questions):

प्रश्न – एल नीनो का क्या अर्थ है?

उत्तर : अलनीनो प्रभाव क्या हैं? ये एक ऐसी समुद्री घटना है जो उष्ण कटिबंधीय प्रशांत महासागर क्षेत्र के समुद्र के तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आये बदलाव के लिए जिम्मेदार हैं। 

प्रश्न – एल नीनो और ला नीना में क्या अंतर है?

उत्तर : अल नीनो घटना मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में गर्म या उच्च समुद्री सतह के तापमान के लिए जिम्मेदार होती है। इसके विपरीत ला-नीनो घटना के समय मध्य एवं पूर्वी प्रशांत महासागर की सतह का तापमान न्यूनतम हो जाता हैं। इसके कारण तीव्र स. पू. वाणिज्य पवन चलने लगती हैं। 

प्रश्न – अल नीनो कितने समय तक रहता है?

उत्तर : यह आमतौर पर 9-12 महीने तक रहते हैं, लेकिन कुछ परिस्थितियों में कई वर्षों तक रह सकते हैं।

प्रश्न – एल नीनो की जलधारा की दिशा क्या है?

उत्तर : एल नीनो की जलधारा पेरू के तट पर सम्मान्यत: उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित होती है।

प्रश्न – एल नीनो कब देखा गया?

उत्तर : बीते दो दशकों के दौरान 1991, 1994, 1997 के वर्षों में व्यापक तौर पर अल-नीनो का प्रभाव दर्ज किया गया जिसमें वर्ष 1997-98 में इस घटना का प्रभाव सबसे ज्यादा रहा

प्रश्न – गर्म जलधारा को क्या कहते हैं?

उत्तर : जो जल धाराएँ निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांशों की ओर प्रवाहित होती हैं गर्म जलधाराएँ कहलाती हैं।

प्रश्न – अल नीनो के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर : अल नीनो के दौरान पानी की बचत करनी चाहिए, जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाना चाहिए, अधिक मात्रा में तरल पदार्थ पीना चाहिए।

प्रश्न – अल नीनो का क्या कारण है?

उत्तर : जब भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में सतह का पानी औसत से अधिक गर्म हो जाता है और पूर्वी हवाएं सामान्य से कमजोर हो जाती हैं तो अल नीनो की परिस्थितियां बनती है।

प्रश्न – पेरू की ठंडी जलधारा का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर : हम्बोल्ट धारा

At Last:

इस पोस्ट में आपने जाना कि अलनीनो क्या है एवं एल नीनो और ला नीना में अंतर क्या हैं? अगर ये जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो ईसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें। यदि इस पोस्ट से सम्बंधित आपके कुछ सवाल हो या आप भूगोल के कुछ नए टॉपिक पर आर्टिकल पढ़ना चाहते हो तो उसके बारे में नीचे कमेंट करके जरूर बताए। धन्यवाद। 

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By Rakesh Verma

Rakesh Verma is a Blogger, Affiliate Marketer and passionate about Stock Photography.

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