प्यारे बच्चों! अच्छा ज्ञान ब्लॉग पे आपका स्वागत हैं। और हमेशा की तरह एक बार फिर से मैं आपके लिए लेकर आया हूँ कुछ बेहतरीन कहानियां जो आपको जरूर पसंद आयेगी। और आज आपके लिए लाया हूँ बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ। तो आईये पढ़ते हैं बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ।
बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ
– कुएँ का मेंढ़क –
बहुत समय पहले की बात है। एक समुद्र में बहुत से मेंढ़क रहा करते थे। एक दिन उनमे से एक मेंढ़क ने सोचा कि यार ये भी कोई जिंदगी है, बहुत बोरियत होने लगी हैं यहाँ। अब तो मैं कहीं बाहर घूमने जाना चाहता हूँ और दुनियाँ देखना चाहता हूँ।
इसलिए जाते जाते उसने ये बात अपने दोस्त को भी बतायी और उसे भी साथ चलने को कहा। थोड़ी नानुकुर करने के बाद उसका दोस्त उसके साथ चलने को राजी हो गया लेकिन थोड़ी ही दूर पैदल चलने से वह थक गया और वापस लौट गया।
अब वह मेंढ़क अकेला ही आगे चल पड़ा। चलते चलते उसे रात हो गयी और अँधेरे के कारण वह एक गहरे कुएं में जा गिरा।
सुबह होने पर उसने देखा कि बहुत सारे मेंढ़क उसे घेर कर खड़े हुए हैं और लगातार उसे घूरे जा रहे हैं।
अचानक उनमें से एक मेंढ़क बोला – कौन हो तुम और यहाँ कैसे आये हो?
दूसरा मेंढ़क बोला – क्या तुम आसमान से आये हो?
समुद्र का मेंढ़क बोला – नहीं, मैं तो समुद्र में रहता हूँ और मैं दुनियाँ घूमने निकला था। रात के अँधेरे की वजह से मैं इस कुएँ में गिर गया।
ये समुद्र क्या होता हैं?- दूसरे मेंढ़क ने पुछा।
समुद्र के मेंढ़क ने कहा – अरे, समुद्र बहुत बड़ा होता हैं उसमे खूब सारा पानी होता हैं। और लाखों प्राणी उसमें रहते हैं।
कुंए का मेंढ़क – फिर भी बताओ तो सही आखिर वो कितना बड़ा होगा।
अरे भाई अब मैं क्या बताऊँ तुमको वो सच में बहुत ही बड़ा होता हैं। – समुद के मेंढ़क ने कहा।
क्या वो इतना बड़ा होगा? – एक छोटे मेंढ़क ने दोनों हाथ फैलाकर कहा।
नहीं …… भाई वो इससे भी बहुत बड़ा है।
क्या वो इससे भी बड़ा हैं – दूसरे बड़े मेंढ़क ने दोनों हाथ फैलाकर कहा।
हाँ !! वो इससे भी बहुत बड़ा हैं।
ये सुनकर सभी मेंढ़क एक दूसरे का हाथ पकड़र बोले – अब इससे बड़ा तो कुछ भी नहीं हो सकता। बोलो क्या कहते हो?
अब समुद्र का मेंढ़क बात को समझ चुका था कि इन कुएं के मेंढ़कों ने इस कुएँ से बाहर की दुनियाँ को देखा ही नहीं हैं तो अब वो किसी अनजबी की बात को सच क्यों मानेंगे। इस कुएँ में रहकर इनकी सोच भी छोटी ही हो गयी हैं।
इसलिए अब उसने भी सबकी हां में हां मिलाते हुए स्वीकार करके कहा – हाँ भाई हां … इससे बड़ा दुनियाँ में कुछ भी नहीं हैं।
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– कुत्ते की चतुराई –
एक समय की बात हैं। जंगल में एक कुत्ता कुछ सुखी हड्डियां चबा रहा था। तभी अचानक उसने देखा एक शेर तेजी से उसकी ओर आ रहा हैं। शेर को पास आता देख कुत्ता घबरा गया।
लेकिन उसने हिम्मत से काम लेते हुए एक उपाय सोचा। वह शेर की तरफ पीठ करके बैठ गया और शेर के नजदीक आने पर हड्डियाँ चबाते हुए जोर से बोला – “वाह! आज तो शेर का ताजा माँस खाकर मज़ा ही आ गया। लेकिन मेरी भूख तो अब भी नहीं मिटी हैं। काश! एक शेर और मिल जाता तो मैं पेट भरकर खा सकता।”
शेर ने नजदीक आने पर जब कुत्ते की आवाज़ सुनी तो वो बहुत डर गया और घबराहट में उल्टे पाँव जाने लगा। उसने सोचा – “अरे बापरे ये क्या बला हैं जो शेर को भी चट कर गया और तब भी इसका पेट नहीं भरा। चलो जान बचाकर भागो यहाँ से।
यह सोचकर शेर चुपचाप वहां से खिसक लिया।
उसी जगह पर एक पेड़ पर बैठा हुआ बंदर ये सब देख रहा था। उसने शेर को वापस जाते हुए देखकर उसका पीछा करना शुरू किया और थोड़ी दूर जाकर शेर से कहा। “अरे! महाराज आप जंगल के सबसे ताकतवर प्राणी हो और आप ही उस कुत्ते से डरकर भाग रहे हो। वो कुत्ता झूठ बोल रहा था और आप उसकी बातों में आ गए।
शेर ने कहा – मुर्ख बंदर मुझे बेवकूफ मत बना मैंने अपनी आँखों से देखा और कानों से सुना हैं।
बंदर बोला – “महाराज इस बार आप मेरे साथ चलिए आपको असली सच पता जायेगा।
शेर ने बंदर की बात मान ली और उसे पीठ पर बिठा कर वापस उसी जगह चल पड़ा।
इधर कुत्ता अब भी हड्डियाँ चबा रहा था। लेकिन जब उसने उस शेर को बंदर से साथ वापस आते देखा तो वो सारी बात समझ गया।
इस बार दोबारा हिम्मत जुटाते हुए रोबदार आवाज में बोला- “इस बंदर को कितनी देर हो गयी हैं। इसे एक शेर को पकड़कर लाने भेजा था और वो अभी तक वापस नहीं आया। इधर मेरी भूख बढ़ती जा रही हैं। इस बार उस शेर के साथ साथ इस नालायक बंदर को भी कच्चा खा जाऊंगा।”
कुत्ते की ये बात सुनकर इस बार शेर बहुत ज्यादा डर जाता हैं और बंदर से कहता हैं।
“नालायक बंदर तू मुझे बेवकूफ बनाकर फिर इसके पास ले आया हैं ताकि ये मुझे खा सके। मुझे तो ये कोई साधारण कुत्ता नहीं लगता। चलो अब यहां से भागने में ही मेरी भलाई हैं।
और ऐसा कहकर शेर वहां से भाग गया और उसके जाने के बाद कुत्ता भी वहां से जान बचाकर भाग गया।
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– बकरा और सियार –
एक सियार भोजन की तलाश में जंगल में घूम रहा था। चलते चलते अचानक वो एक कुँए में जा गिरा। कुंआ अंदर से बिल्कुल सूखा हुआ था। सियार ने बाहर निकलने के लिए खूब उछलकूद की लेकिन वो बाहर नहीं निकल पा रहा था।
तभी उधर से एक बकरा गुजर रहा था। उसने सियार की आवाज सुनी। उसने कुएं में झांककर देखा लेकिन थोड़ी कम रोशनी के कारण उसे कुछ दिखाई नहीं दे दिया। तभी कुएँ के अंदर से आवाज आयी।
“अरे बकरे भाई कहा घूम रहे हो। अंदर आ जाओ। देखो यहाँ खूब हरी भरी घाँस उगी हुई हैं। ऐसी घास तुम्हें पूरे जंगल में ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलेगी।
बकरे ने सियार की आवाज को पहचान लिया। उसने कहा – “लेकिन सियार भाई तुम अंदर क्या कर रहे हो?”
सियार ने चालाकी दिखाते हुए कहा – “अरे मित्र ! मैं जानता हूँ कि तुम्हें हरी हरी घाँस खाना पसंद हैं। इसलिए जब मैं इधर से गुजर रहा था तो इस कुएँ से ताज़ा ताज़ा घास की खुशबू आ रही थी।
इसलिए मैंने सोचा कि अंदर जाकर ही देखना चाहिए। और देखो वास्तव में यहाँ कितनी अच्छी हरी भरी खुशबूदार घास हैं। तुम अंदर आकर तो देखो एक बार।
बकरा सियार की चिकनी चुपड़ी बातों में आ गया और खुश होते हुए बोला – “वाह मित्र! तुम मेरे लिए कितना अच्छा सोचते हो। चलो तुम कहते हो तो मैं अंदर ही आ जाता हूँ।”
और ऐसा कहकर बकरे ने कुएँ में छलांग लगा दी। इधर सियार इसी फ़िराक में था। और जैसे ही बकरा कुएँ में गया सियार ने बकरे के ऊपर पैर रखकर एक लम्बी छलांग लगाई और झट से कुएँ से बाहर आ गया। सियार ने बाहर आते ही बकरे से कहा – “मुर्ख बकरे मैंने तुम्हें बेवकूफ बनाया, लो अब खाते रहो हरी हरी घाँस।”
और ऐसा कहकर सियार वहां से चला जाता हैं और बकरा उसी कुएं में भूख प्यास से मर जाता हैं।
कहानी से शिक्षा: कभी भी किसी अंजान व्यक्ति की बातों का भरोसा नहीं करना चाहिए।
तो दोस्तों, अगर आपको ये बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ पसंद आयी हो तो इन्हें अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें और आपको किस तरह की कहानिया पढ़ना पसंद हैं अपनी राय नीचे कमेंट करके जरूर बताये।
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