पंचतंत्र की कहानी चतुर खरगोश – Sher Aur Khargosh Ki Kahani

-: चतुर खरगोश :-

एक समय की बात है। एक बहुत बड़ा और घना जंगल था उसमें कई तरह के जानवर रहते थे। उसी जंगल में बहुत ही खूंखार शेर भी रहता था जिससे जंगल के सभी जानवर बहुत डरते थे। सब उसे जंगल का राजा कहकर बुलाते थे।

एक बार शेर ने जंगल के सभी जानवरों की सभा बुलाई। और जंगल के सभी जानवर एक जगह इक्क्ठे हुए।

तब शेर ने अपनी रौबदार आवाज में कहा –

“जंगल के छोटे-बड़े सभी जीव जंतुओं मेरी बात ध्यान से सुनो, आज मैंने तुम सबको यह कहने के लिए बुलाया है कि आज के बाद अब मैं शिकार करने नहीं जाऊंगा।”

“मैंने यह निर्णय लिया हैं कि अब हर रोज तुममे से एक जानवर मेरे पास आएगा और मेरी भूख मिटाएगा।”

“अब बताओ तुममें से किसको मेरी बात कुबूल नहीं हैं?”

अब भला शेर की बात मानने से कौन इंकार कर सकता था। अतः सबने शेर की बात मान ली।

अब अगले दिन से ही एक एक करके जंगल के जानवर शेर के पास जाने लगे और शेर का निवाला बनने लगे।

कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा। और एक दिन खरगोश की बारी आई। खरगोश अब इस बात से बहुत डर गया और सोचने लगा कि आज तो ये दिन उसकी उसकी जिंदगी का आखरी दिन होगा।

लेकिन फिर भी डरते हुए वो शेर का निवाला बनने चल पड़ा। अब जैसे जैसे वो आगे बढ़ता जा रहा था उसके पैर कांपने लगे थे। उसकी चलने की गति जैसे थम सी गयी थी।

अब खरगोश मन ही मन शेर से बचने का कोई उपाय सोचने लगा। सोचते सोचते वो शेर के और करीब जा पंहुचा।

तभी उसके दिमाग में एक जबरदस्त विचार आया और अब खरगोश शेर की और तेजी से दौड़ता हुआ पहुंचा।

इधर भूख के मारे शेर गुस्से से आग बबूला होने लगा कि अब तक कोई भी उसके पास क्यों नहीं आया है।

तभी शेर ने देखा कि एक खरगोश दौड़ता हुआ उसी की और आ रहा है। अब जैसे ही खरगोश शेर के पास आया तो शेर जोर से दहाड़ मारकर बोला।

“एक तो तुम इतने छोटे से और ऊपर से इतनी देर लगा दी आने में, कहा थे तुम अब तक… ???”

खरगोश थोड़ा डरते हुए बोला –

“क्षमा करें महाराज परन्तु इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। हम कई सारे खरगोश समय पर ही निकले थे यहाँ आने के लिए परन्तु रास्ते में हमें आप ही के जैसा एक शेर मिल गया।”

“उसने हमें रोककर कहा कि मैं ही इस जंगल का असली राजा हूँ और अब मैं तुम्हें आगे नहीं जाने दूंगा। और ऐसा कहकर उसने हमला कर दिया और कई सारे खरगोशों को उसने अपना शिकार बना डाला। कुछ तो जैसे तैसे बचके वापस जंगल की और भाग गए।”

“महाराज मैं आपको क्या बताऊ कि कितनी मुश्किल से बचते हुए मैं यहाँ आया हूँ क्यूंकि मुझे आपकी बहुत फ़िक्र हो रही थी।”

खरगोश की बात सुनकर शेर फिर से गुस्से जोर से बोला –

कौन हैं वो कमबख्त जिसने इतना दुस्साहस किया है। मेरे रहते हुए कोई दूसरा इस जंगल में राज नहीं कर सकता। बताओ कहा हैं वो दुष्ट….!!! ले चलो मुझे उसके पास तुरंत।

अब खरगोश शेर को लेकर चल पड़ा और थोड़ी देर बाद वो दोनों एक कुंए के पास जा पहुंचे।

तभी खरगोश ने शेर से कहा -” महाराज उसने हमें इसी जगह पर रोका था, देखो वो आस पास ही होगा। खरगोश फिर बोला -“लगता है महाराज वो आपके डर से इस कुंए में छुप गया होगा।

तभी शेर ने कुंए में झांककर देखा तो उसे पानी में अपनी परछाई दिखाई दी जिसे शेर ने दूसरा शेर समझ लिया।

यह देखकर शेर फिर से गुस्से में आग बबूला होकर जोर से दहाड़ता है और कहता हैं-

“तो तू ही हैं वो दुष्ट, तूने मेरे इलाके में आने की हिम्मत कैसे की, रुक मैं अभी तुझे सबक सिखाता हूँ, आज मैं तुझे जिन्दा नहीं छोडूंगा।”

और ऐसा कहकर शेर ने कुएं में छलांग लगा दी और उसमें ही डूबकर मर गया।

शेर के मर जाने के बाद खरगोश बहुत खुश हुआ वापस अपने घर ओर की चल दिया।

इधर जंगल के सभी जानवर खरगोश को जिन्दा देखकर सोच में पड़ गए। जब खरगोश ने सारी बात बताई तो किसी को भी उसकी बात पर यकीन नहीं हुआ।

लेकिन अब खरगोश सभी जानवरों को लेकर जंगल में उसी जगह गया जहां शेर कुएं में डूबा हुआ था।

जब सब ने अपनी आँखों से वो नजारा देखा तो सबके सब ख़ुशी के मारे झूम उठे क्यूंकि अब शेर का अंत हो चुका था।

उसके बाद सबने खरगोश को उस जंगल का राजा घोषित कर दिया। इस प्रकार जंगल के सब जानवर ख़ुशी ख़ुशी रहने लगे।

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By Rakesh Verma

Rakesh Verma is a Blogger, Affiliate Marketer and passionate about Stock Photography.

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