अगर आपको मजेदार कहानियां पढ़ना पसंद हैं तो आप ये कहानी टपका का डर (टपका और शेर की कहानी) जरूर पढ़े। आज मैं आपके लिए लेकर आया हूँ टपका और शेर की कहानी जो पढ़ने में आपको रौचक तो लगेगी ही साथ ही इसमें आपको खूब मज़ा भी आएगा।

तो आईये शुरू करते हैं कहानियों का रौचक सफर और पढ़ते हैं कहानी –टपका का डर (टपका और शेर की कहानी)

टपका का डर (टपका और शेर की कहानी)

एक समय की बात है रात का समय था और बहुत तेज बारिश हो रही थी। उस बारिश में एक किसान अपनी टूटी फूटी झोपड़ी में सो रहा था।

उसी झोपड़ी के पीछे बाड़े में उसके कुछ गधे भी बंधे हुए थे। तभी एक शेर जंगल से बाहर निकलकर उसके गाँव में चला आया परन्तु बारिश तेज होने के कारण वो उस बाड़े में जा पहुँचा। 

शेर रात के घुप्प अँधेरे की वजह से वह बाड़े में बंधे गधों को पहचान नहीं पाया। और वो चुपचाप उन गधों के बीचो बीच जाकर खड़ा हो गया।

थोड़ी देर बाद झोपड़ी में से किसान के कुछ बुदबुदाने की आवाज आने लगी -” यार कितनी तेज बारिश हो रही है मैं ठीक से सो भी नहीं पा रहा हूँ। जगह-जगह गीला हो रहा है, क्या करू अब मैं?”

उधर किसान की ये बाते चुपके से शेर सुन रहा था। शेर ने सोचा कि अब मैं इसे खाकर अपनी भूख मिटाऊंगा और वो मौके की फ़िराक में झोपडी पर नजर दौड़ाने लगा। 

उधर झोपड़ी में बार बार पानी टपकने से परेशान होकर किसान तेज आवाज में बोल उठा- “आज तो इस टपके ने तो परेशान करके रख दिया, इतना डर तो मुझे शेर से भी नहीं लगता जितना इस टपके से लगता है!! “

यह सुनकर शेर डर के मारे कांपने लगा उसने सोचा कि यह किसान किस टपके की बात कर रहा है क्या यह टपका मुझसे भी ताकतवर है, पता नहीं यह टपका क्या बला हैं? शायद यह टपका मुझसे भी ज्यादा ताकतवर होगा तभी तो किसान ऐसा कह रहा हैं। नहीं-नहीं अब मुझे यहां से चले जाना चाहिए अब मैं यहां बिल्कुल नहीं रुकूंगा।

तभी बारिश से परेशान होकर किसान गांव में अपने दूसरे घर की ओर जाने लगा और वह बाड़े में आकर शेर को गधा समझकर उस पर जा बैठा।

ऐसा करते ही शेर बिल्कुल घबरा गया क्यूंकि शेर ने सोचा कि शायद वो टपका अब तो मेरी पीठ पर ही आकर बैठ गया है , अब तो मेरी खैर नहीं, लगता है ये टपका अब मुझे जिन्दा नहीं छोड़ेगा। 

तभी किसान ने उसके दोनों कान जोर से मरोड़े ताकि वो चल पड़े। 

अब तो शेर बहुत डर गया उसने सोचा कि अब तो मेरी मौत बिल्कुल निश्चित है इस टपके ने तो अब अपना असली रूप दिखाना शुरू कर दिया हैं लेकिन अब क्या किया जा सकता है, बस चुपचाप मुँह बंद रखकर भागो।

किसान ने शेर के दोनों कान और तेजी से मरोड़े तो शेर और तेजी से दौड़ने लगा और दौड़ते दौड़ते पूरी रात हो गई और गांव तक पहुंचते-पहुंचते सुबह होने लगी।

तभी गांव के कुछ लोगों ने शेर पर बैठकर जा रहे उस आदमी को देखा है और वह कहने लगे अरे देखो- देखो यह शेर पर बैठा हुआ है, परन्तु आज यह शेर पर कैसे बैठा हुआ है?

गाँव के उन आदमियों ने उस किसान को पहचान लिया था परंतु शेर उनकी बातों को समझ नहीं पाया उसने तो यही सोचा कि यह जो टपका है इसके बारे में यह गांव वाले पहले से ही जानते हैं, लेकिन मैं इससे कैसे बचू।

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मैं तो इसके डर के मारे गांव वालों से कुछ कह भी नहीं सकता और यदि मैंने ऐसा किया तो यह मुझे जिन्दा नहीं छोड़ेगा। और वह चुपचाप चलता जा रहा था।  

आगे चलकर कुछ गांव वाले फिर मिले और उसे देखकर कहने लगे और यह देखो यह आज तो शेर पर बैठकर जा रहा है शेर पर बैठे उस किसान ने सोचा कि – यह लोग क्या कह रहे हैं यह तो एक गधा है और यह इसे शेर कह रहे हैं।

फिर उसने सोचा कि जब सब लोग ऐसा कह रहे हैं तो हो सकता है यह वास्तव में शेर ही हो।  

उसने जब शेर की ओर देखा तो किसान के होश उड़ गए और किसान डर के मारे कांपने लगा -अरे यह क्या यह तो सच में एक शेर ही है, अब मैं क्या करूं, कैसे बच्चू इससे यह तो मुझे जिंदा ही खा जाएगा। इसलिए किसान ने बिलकुल हिलना तक बंद कर दिया। 

उधर शेर चलता ही जा रहा था उसके अंदर का डर अब और ज्यादा बढ़ता जा रहा था उसने सोचा कि यह टपका अभी भी मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा है मेरा तो आज मरना निश्चित है और उधर वह किसान उस शेर से पीछा छुड़ाने की तरकीब सोचने लगा।

गांव गुजर जाने पर अब वह शेर जंगल की ओर जाने लगा। तभी किसान ने आगे रास्ते में एक बड़ा सा बरगद का पेड़ देखा और जैसे ही वह शेर उस बरगद के पेड़ के नीचे से गुजरने लगा तो उस किसान ने बरगद की लटकती हुई जड़े पकड़ ली अपने दोनों हाथों से और पेड़ पर चढ़ गया। 

इधर जैसे ही वह किसान उस पेड़ पर चढ़ा तो शेर की जान में जान आ गयी क्यूंकि अब दुश्मन ने उसे छोड़ दिया था। अब शेर सोचने लगा अरे अब तो टपका इसी पेड़ पर रुक गया है अब जल्दी से भाग लेते हैं यहां से नहीं तो पता नहीं यह टपका मेरा क्या हाल करेगा।

लगता है यह टपका इसी पेड़ पर रहता है तभी तो इतनी देर तक मुझ पर बैठकर सवारी करता रहा चलो जो हुआ अच्छा हुआ अब भाग लेते हैं यहां से, अब मैं फिर कभी भी इस पेड़ के पास नहीं लौटूंगा।

उधर और किसान शेर के जाने के बाद पेड़ से नीचे उतर कर अपने गांव की ओर चल दिया जब गांव के लोगों ने उसे देखा तो कहने लगे अरे आज तो तुम शेर पर बैठकर जा रहे थे, अरे तुम शेर की सवारी कर रहे थे, तुम तो बहुत बहादुर हो।

यह सुनकर किसान अपने मन में इतराने लगा और अकड़ में बोला – हाँ शेर क्या चीज है इनको तो मैं जब चाहूं अपने बस में कर सकता हूँ, मैं शेर से नहीं डरता। तभी गांव वालों ने कहा – देखो यह तो शेर से भी नहीं डरता कितना निडर आदमी है। 

धीरे धीरे यह बात राजा तक पहुंच गई और उसने उस किसान को दरबार में बुलाया और कहा- “मैंने सुना है कि तुम बहुत बहादुर हो और शेर से भी नहीं डरते क्या सच में तुम शेर से नहीं डरते  ….?

अब किसान घबरा गया वह मन ही मन सोचने लगा। अरे अब तो मैं अपने झूठ के कारण अब और भी परेशानी में पड़ने वाला हूं।

राजा ने फिर कहा देखो युवक, हमारे इस गाँव में एक शेर का बहुत आतंक है जो रात में हमारे गांव में आ जाता है और गांव के मवेशियों और जानवरों को उठाकर ले जाता है।

यह हमारे लिए बहुत बड़ा खतरा है क्या तुम उस शेर को जिन्दा पकड़ कर मेरे सामने ला सकते हो? राजा की बात सुनकर वह किसान बिल्कुल डर गया उसके सामने तब उस रात के मंजर याद आने लगे।

अब वह सोचने लगा कि उस दिन तो जैसे तैसे शेर से जान बची थी लेकिन अब तो सच में ही जान जाएगी, अब बचने का भी कोई उपाय नहीं है, क्या किया जाये अब।

लेकिन फिर भी सबके सामने उसने राजा का या निमंत्रण स्वीकार कर लिया और राजा की बात मान ली। फिर राजा ने उसे कुछ पैसे दिए उसके बाद वह किसान बाजार से एक मोटी रस्सी, एक बकरा और एक बड़ा सा जाल खरीद कर लाया और जंगल की ओर चल पड़ा।

वह जंगल की ओर जा रहा था तभी रास्ते में उसे वह बरगद का पेड़ दिखाई दिया उसने वहीं रुक कर उस पेड़ के नीचे एक गड्ढा खोदना शुरू किया और उस गड्ढे में कुछ पत्ते गिरा कर उसमे जाल को फैला दिया और उसके अंदर बकरे को खड़ा कर दिया और बकरे के गले में मोटा रस्सा बांधकर वह किसान पेड़ पर जा बैठा अब वह शेर के आने का इंतजार करने लगा।

थोड़ी देर में जब बकरे का घास खत्म हो गया तो वह जोर-जोर से मिनीयाने लगा। बकरे की आवाज जंगल में दूर-दूर तक जा रही थी. तभी दूर से शेर को बकरे की आवाज सुनाई दी तो वह आवाज की ओर चल पड़ा।

उसने देखा कि वह आवाज एक गड्ढे में से आ रही है लेकिन तभी उसे वह पेड़ दिखाई दिया तो मन में कुछ शंका हुई और उसे वह टपके वाली घटना फिर से याद आ गयी।

लेकिन इस बार भूख के कारण शेर क्या करता उसने सोचा चलो एक बार चल कर देख ही लिया जाए आखिर शिकार भी तो करना है और जैसे ही वह शेर पेड़ के पास आया तो वह बकरे को देखकर उस गड्ढे में छलांग लगा दी।

उधर किसान इसी मौके की तलाश में था और जैसे ही शेर ने गड्ढे में छलांग लगाई तो किसान में रस्सी को जोर से ऊपर खींचा और बकरे को बाहर निकाल लिया।

शेर अब जाल में फंस चुका था शेर यह देखकर अब और भी ज्यादा डर गया उसका डर अब यकीन में बदल गया की अब तो वही हुआ जो मैंने सोचा था हो न हो यह सब उस टपके का ही किया धरा है यह टपका आखिर मुझे मार कर ही रहेगा।

तभी उसने किसान को पेड़ से उतरते देखा तो वह सोच में पड़ गया की क्या यह वही टपका है जिसने मुझे उस रात बहुत परेशान किया था। अरे…!! यह तो इंसान है। यह देखकर शेर अब गुस्से में गुर्रा उठा लेकिन अब वो क्या कर सकता था। 

उधर किसान शेर को जाल में बंद करके राजा के दरबार में हाजिर हुआ तो राजा बहुत खुश हुआ और सब लोग उस युवक की जय जयकार करने लगे राजा ने उसकी इस बहादुरी पर उसे खूब इनाम भी दिया और उसका अब नया नाम तीस मार खाँ रख दिया गया अब गांव के सभी लोग उसे तीस मार खां कहकर बुलाने लगे। 

–कहानी समाप्त–

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By Rakesh Verma

Rakesh Verma is a Blogger, Affiliate Marketer and passionate about Stock Photography.

2 thoughts on “टपका का डर | टपका और शेर की कहानी- Best Story 2024”
  1. Very nice kahani I mean story💕
    Bahut acchi Kahani Hai💕
    Aap aise hi acchi kahani banaaiye aur apne channel per daliye Yahi wale channel per okay
    Mera reply nahi tab tha thank u🙂

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