प्यारे बच्चों कैसे है आप सब? उम्मीद करता हूँ आप सब मजे कर रहे होंगे! दोस्तों आज हम आपके लिए बहुत ही शानदार और मनोरंजक कहानियाँ लेकर आये है जो आपको बहुत अच्छी लगेगी और साथ ही कुछ न कुछ प्रेरणा भी जरूर देगी।
तो अब ज्यादा देर न करते करते हुए चलते है कहानियों की दुनियां में और पढ़ते है बच्चों की बाल कहानियां (Bacchon Ki Bal Kahaniyan)
Bacchon Ki Bal Kahaniyan (बच्चों की बाल कहानियां)
1- लोमड़ी और हंस
एक लोमड़ी और एक हंस दोनों आपस में अच्छे दोस्त थे। एक दिन लोमड़ी ने हंस को दावत पे अपने घर बुलाया। हंस दावत पे गया और लोमड़ी ने दोनों के लिए खीर बनाई। लेकिन लोमड़ी ने जानबूझकर दोनों के लिए प्लेट में खीर परोसी।
अब हंस के सामने परेशानी यह थी कि वो खीर खाये तो कैसे खाये क्यूंकि हंस का मुँह तो पतला होता है और उसकी चोंच भी बिलकुल ऐसी नहीं थी कि वो एक प्लेट में रखी हुई खीर आसानी से खा सके। इसलिए बहुत कोशिश करने के बाद भी हंस कुछ न खा सका।
इधर लोमड़ी मजे से खीर खाये रही थी क्यूंकि प्लेट में खाना उसके लिए बेहद आसान था। इसलिए लोमड़ी ने जल्दी ही अपनी सारी खीर चट कर डाली। बेचारा हंस चुपचाप बस लोमड़ी का मुँह देखता रह गया।
हंस लोमड़ी के इस व्यवहार पर बेहद नाराज हुआ लेकिन उस समय वो चुपचाप वहां से चला गया। अब वो लोमड़ी से इस अपमान का बदला लेना चाहता था।
इसलिए कुछ दिन बाद उसने भी लोमड़ी को अपने घर दावत पे बुलाया। इस बार हंस ने दोनों के लिए खिचड़ी पकाई। जब लोमड़ी दावत पे आयी तो हंस ने दोनों के लिए पतले मुँह वाली सुराहियों में खिचड़ी परोसी।
अब लोमड़ी यह देखकर परेशान हो गयी कि उसके लिए एक पतले मुँह वाली सुराही में खाना परोसा गया है जिसके कारण वो कुछ भी खा नहीं सकती। लोमड़ी को इस बार बहुत जोरो की भूख लगी थी लेकिन अब वो खाये तो कैसे।
इधर हंस बड़े मजे से खिचड़ी का आनंद ले रहा था क्यूंकि लम्बे और पतले मुँह वाली सुराही में खाना उसके लिए बहुत आसान था। लोमड़ी अब चुपचाप ये सब देखती रही और अब उसे वो पुरानी बात याद आ गयी जब इसी तरह उसने भी हंस का अपमान किया था।
अब लोमड़ी बात को समझ चुकी थी। इसलिए वो चुपचाप वहां से खिसक ली। इस प्रकार हंस ने अपने अपमान का बदला ले लिया।
कहानी से शिक्षा : घर आये मेहमान का कभी अपमान नहीं करना चाहिए।
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2- मगरमच्छ और चालाक बन्दर
एक समय की बात है। एक नदी के किनारे एक बड़ा सा जामुन का पेड़ था जिस पर एक बन्दर रहता था। बन्दर हर रोज मीठे मीठे जामुन खाता और कुछ जामुन नीचे पानी में भी गिरा देता जहां एक बड़ा सा मगरमच्छ रहता था। मगरमच्छ बंदर द्वारा गिराये हुए मीठे जामुन खाता तो वो भी बड़ा खुश होता।
इस प्रकार कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता ही रहा और धीरे धीरे दोनों में गहरी दोस्ती हो गई। एक दिन मगरमच्छ अपने साथ कुछ मीठे जामुन लेकर अपनी पत्नी के पास गया और कहां कि ये सारे फल मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने तुम्हारे लिए भेजे है। लो मजे से खाओ।
मगरमच्छ की पत्नी से जब जामुन खाये तो वो खुश होकर कहने लगी – “अरे वाह तुम्हारे दोस्त ने तो बड़े ही मीठे जामुन भेजे है। लेकिन वो तो रोज़ ही ऐसे मीठे जामुन खाता होगा तो सोचो उसका दिल कितना मीठा होगा!!
इसलिए अब तुम मेरे लिए उस बंदर का दिल लेकर आओ क्यूंकि अगली बार तो मुझे उसका मीठा दिल ही खाना है। अगर तुम ऐसा नहीं करोगे तो मैं भी खाना पीना छोड़ दूंगी।”
मगरमच्छ क्या करता पत्नी की जिद के आगे मजबूर था। इसलिए अब वो बंदर के पास गया और बंदर से बोला – “दोस्त ! तुम्हारे मीठे जामुन खाकर मेरी पत्नी बहुत खुश हुई और उसने तुम्हारी खूब तारीफ भी की। और आज उसने तुम्हें दावत पे बुलाया है। इसलिए क्या तुम मेरे साथ घर चलोगे?”
बंदर ने कहा – हां क्यों नहीं, लेकिन मुझे तो तैरना ही नहीं आता। मैं तुम्हारे साथ कैसे चलूगा?
मगरमच्छ ने कहा – तुम चिंता मत करो, मैं हूँ न। तुम मेरी पीठ पर बैठ जाना, मैं तुम्हें ले चलूँगा।
बंदर ने मगरमच्छ की बात मान ली और वो मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया।
थोड़ी दूर चलने के बाद मगरमच्छ ने बन्दर से कहा – मेरे दोस्त! मुझे तुमसे एक बात कहनी है। मेरी पत्नी तुम्हारा कलेजा खाना चाहती है। इसलिए मैंने तुमसे झूट बोला और तुमको अपने साथ लेकर जा रहा हूँ।
ये सुनते ही बंदर घबरा गया लेकिन फिर अपने आप पर काबू रखते हुए बोला – अरे मित्र, बस इतनी सी बात! लेकिन ये बात तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताई? क्या तुम्हे नहीं पता कि बंदर अपना दिल पेड़ पर टांग कर रखते है। वो देखो मेरा दिल तो उस पेड़ पर ही टंगा रह गया। चलो अब वापस, उसे लेकर आते हैं।
मगरमच्छ ने भी सोचा कि हो सकता है सारे बन्दर अपना दिल पेड़ पर टांग कर रखते होंगे। इसलिए उसने बंदर की बात मान ली और वापस किनारे की ओर चल पड़ा।
अब जैसे ही दोनों किनारे पहुंचे बंदर लपककर तुरंत पेड़ पर जा चढ़ा और कहने लगा- मुर्ख मगरमच्छ क्या तुम्हें ये भी नहीं पता कि कोई भी अपना दिल पेड़ पर टांग कर नहीं जी सकता। और तुम तो दुष्ट भी हो, दोस्त के नाम पर तुमने मेरे साथ धोखा किया है। इसलिए आज से हमारी दोस्ती यहीं खत्म।
कहानी से शिक्षा : विपत्ति में भी समझदारी से काम लेना चाहिए
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3- बन्दर और टोपी वाला
एक गांव में टोपी बेचने वाला आदमी आया। दिन भर घूमने के कारण वो काफी थक गया। इसलिए वो एक बड़े से पेड़ की छाँव में विश्राम करने लगा। पेड़ की छाँव और ठंडी ठंडी हवा के कारण टोपी वाले को कब गहरी नींद आ गयी उसे पता ही नहीं चला।
उस पेड़ पर कुछ बंदर भी रहते थे। टोपी वाले आदमी को सोता देखकर सभी बंदर उसकी सारी टोपियां लेकर पेड़ पर चढ़ गए। थोड़ी देर बाद टोपी वाले की नींद खुली तो उसने देखा कि उसकी सारी की सारी टोपियां बंदर ले भागे हैं। वो सोच में पड़ गया कि अब क्या किया जाये और कैसे सारी टोपियां वापस प्राप्त की जाये।
तभी उसके दिमाग में एक गज़ब का विचार आया। उसने अपने सिर पर पहनी हुई टोपी को उतारकर बंदरों की तरफ फेंकने का इशारा किया। अब बंदर तो होते ही नकलची हैं। इसलिए बंदरों ने भी अपनी अपनी टोपियां उस आदमी की तरफ फेंक दी।
जैसे ही बंदरों ने टोपिया फेंकी तो टोपी वाले ने सभी टोपियां इक्क्ठी की और चुपचाप वहां से चला गया।
कहानी से शिक्षा : विपत्ति में बुद्धि से काम लेना चाहिए
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4- चार मुर्ख व्यक्ति और शेर
एक गांव में चार मुर्ख व्यक्ति रहते थे। वे चारों किसी न किसी प्रकार से एक जादुई शक्ति में माहिर थे लेकिन फिर भी बेरोजगार थे। एक दिन वे चारों पैसा कमाने के लिए गांव छोड़कर शहर के लिए निकल पड़े।
रास्ते में एक घना जंगल पड़ता था। इसलिए वे चारों उसी जंगल में से होकर गुजरने लगे। जंगल में कुछ दूर तक चलने के बाद उन्हें एक मरे हुए शेर का कंकाल दिखाई दिया।
तभी उनमे से एक व्यक्ति ने कहा – अरे ज़रा रुको! ये देखो एक मरा हुआ शेर का कंकाल। अगर हम इसको फिर से जीवित कर दे तो कैसा रहेगा ?
बाकि तीनों मूर्ख बोले – हां हां क्यों नहीं। आखिर हमें भी तो अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करके देखना चाहिए।
उस समय एक बड़ा तपस्वी एक पेड़ पर बैठकर तपस्या कर रहा था परन्तु उन चारों मूर्खों की बातें सुनकर वो रुक गया और फिर चुपचाप उन चारों मूर्खों की बातें सुनने लगा। पहले तो वो ये सोचकर चुप रहा कि क्या सच में ये लोग इस मरे हुए शेर को जीवित कर पाएंगे?
तभी तपस्वी ने देखा कि पहले व्यक्ति ने अपनी जादुई शक्ति से शेर के बिखरे हुए कंकाल को फिर से जोड़ दिया।
इसके बाद दूसरे व्यक्ति ने अपनी जादुई शक्ति से उस कंकाल में मांस जोड़ दिया। अब शेर अपने वास्तविक रूप में दिखाई देने लगा। कमी थी तो केवल बस उसमें जान डालने की।
ये देखकर पेड़ पर बैठा तपस्वी बोला – अरे मूर्खों! रुको ज़रा। ये तुम क्या करने जा रहे हो? क्या तुम्हें नहीं पता कि अगर ये शेर फिर से ज़िंदा हो गया तो ये तुम सबको मार कर खा जायेगा।
चारों मूर्खों ने कहा – हमारी शक्ति है हम कुछ भी करें तुम्हें क्या दिक्कत हैं। इसलिए तुम तो चुपचाप ऊपर बैठकर तमाशा देखो, बस।
अब तपस्वी भी ज्यादा कुछ कहने के बजाय चुपचाप पेड़ पर बैठ कर तमाशा देखने लगा।
अब तीसरा मुर्ख कहने लगा – हां सब हो जाओ तैयार। क्यूंकि अब मैं इसमें जान डालने वाला हूँ।
ये कहकर उसने शेर में जान दी और देखते ही देखते वो शेर फिर से जी उठा और जोर जोर से दहाड़ मारने लगा। ये देखकर चारों मुर्ख डर के मारे इधर उधर भागने लगे लेकिन शेर ने एक एक करके सबको मार डाला।
अब पेड़ पर बैठा हुआ तपस्वी कहने लगा – काश तुम सबने मेरी बात मान ली होती तो अभी तुम सब जीवित होते।
यह कहकर उस तपस्वी ने अपनी तप साधना से शेर को मार कर उन चारों मूर्खों को फिर से जिन्दा कर दिया। जिन्दा होते ही चारों मुर्ख उस तपस्वी से अपनी गलती की माफ़ी मांगने लगे। तपस्वी ने भी उनको माफ़ कर दिया और फिर से अपनी साधना में लग गया।
कहानी से शिक्षा : अपने ज्ञान का हमेशा सदुपयोग करना चाहिए।
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5- शेर और चार बैल
एक जंगल में हट्टे कट्टे चार बैल रहते थे। चारों आपस में बहुत अच्छे दोस्त थे। इसलिए जंगल का राजा शेर भी उनसे डरता था क्यूंकि वो हमेशा एक साथ ही रहते थे।
शेर ने बैलों का शिकार करने की कई बार कोशिश की लेकिन वो कभी उसमें कामयाब नहीं हो सका क्यूंकि चारों बैलों से एक साथ लड़ पाना उसके बस की बात नहीं थी।
इसलिए शेर ने एक सोचा कि जब तक ये चारों बैल इसी प्रकार एक साथ रहेंगे तब तक मैं इनको नहीं खा पाउँगा। यानि अब मुझे इन सबको अलग अलग करना होगा ताकि मेरा काम आसान हो सके।
इसलिए वो अकेले में जाकर एक एक बैल से कहता – देखो भाई तुम्हारे बाकि साथी तुमसे जलते है और तुम्हारे पीठ पीछे तुम्हारी बुराई करते है। और कभी कभी तो वे तुम्हे बिना बताये अच्छी अच्छी घास भी चरने जाते है। और एक तुम हो जो इतना भी नहीं समझते।
इस प्रकार शेर ने एक एक करके सभी बैलों को ये बात कही तो सभी बैल एक दूसरे के दुश्मन बन बैठे और अलग अलग रहने लगे।
इधर शेर को भी बस इसी बात का इन्तजार था। अब उसके लिए अच्छा मौका था बैलों का शिकार करने का। अब जब भी कोई बैल अकेले में घास चरता शेर उसे अपना शिकार बना लेता। इस प्रकार धीरे धीरे शेर ने चारों बैलों को मार कर खा लिया।
कहानी से शिक्षा : संघठन में शक्ति होती हैं।
अंत में,
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बहुत अच्छी कहानियां लिखी हैं ये बहुत ही प्रेरणादायक हैं। कहानियां
पढ़ते समय ऐसा लग रहा था जैसे पंचतंत्र की कहानियां पढ़ रहे हों।
शुक्रिया राहुल जी आपको हमारी ये कहानियाँ पसंद आई. हम इसी तरह नई और अनोखी कहानियाँ आपके लिए आगे भी लाते रहेंगे।