दोस्तों! अंतरिक्ष अनेक रहस्यों से भरा हुआ हैं। इंसान के अंदर इसके रहस्यों को जानने और समझने की जिज्ञासा हमेशा से ही रही हैं। इसलिए सदियों पहले से ही कई लोगों ने इसके बारे में जानना और समझना शुरू कर दिया था।

अंतरिक्ष की जिन चीजों को कुछ समय पहले तक रहस्यमयी समझा जाता था, उन्हें इंसान द्वारा विकसित नई तकनीकों से खोजा और समझा जाने लगा हैं।

अंतरिक्ष से जुड़े कुछ ऐसे ही सवाल और उनके जवाब आज इस लेख में आपको जानने को मिलेंगे। इसलिए आप ये लेख ‘अंतरिक्ष के रहस्य, Antriksh Ki Jankari‘ अंत तक जरूर पढ़े और अपने अंतरिक्षीय ज्ञान को बढ़ाये।

अंतरिक्ष के रहस्य | Antriksh Ki Jankari:

Galaxy: आकाशगंगा या मंदाकिनी क्या है (akash ganga kya hai):

यह धूल, गैस, तारों और उनके Solar System का एक विशाल पुंज हैं। अंतरिक्ष (Universe) में लगभग 10,000 मिलियन आकाश गंगाएं हैं। प्रत्येक आकाशगंगा में 1,00,000 मिलियन तारे हैं। तारों के अतिरिक्त आकाशगंगा में धूल एवं गैसें भी पायी जाती हैं। पृथ्वी ऐरावत पथ (Milky Way) नामक आकाशगंगा का एक भाग हैं।

वृहत मैगेलेनिक मेघ (Large Magellanic Cloud), लघु मैगेलेनिक मेघ (Small Magellanic Cloud), उर्सा माइनर सिस्टम (Ursa Minar System), स्कल्पटर सिस्टम (Sculptor System), डेक्रो सिस्टम आदि अन्य आकाश गंगाये हैं।

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अंतरिक्ष के रहस्य | Antriksh Ki Jankari

इस विशाल ब्रह्मांड में विभिन्न द्रव्यों के एक साथ संकेन्द्रण के कारण तारों का निर्माण होता हैं। इन तारों का बड़ा समूह मिलकर आकाश गंगा का निर्माण करता हैं। विभिन्न निरीक्षणों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता हैं कि ब्रह्मांड में 100 बिलियन से भी ज्यादा आकाश गंगाये होंगी। इनमें में 10 बिलियन आकाश गंगाओं को दूरबीन से देखा जा सकता हैं।

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(Constellation) तारामंडल क्या है?

तारों या नक्षत्रों के समूह को तारामंडल कहा जाता हैं। प्राचीनकाल में इनकी विशिष्ट आकृतियों के आधार पर इनका नामकरण किया गया था। आधुनिक समय में 89 तारामंडलों की पहचान की जा चुकी हैं। इनमें से हायड्रा (Hydra Constellation) सबसे बड़ा तारामंडल हैं। सेंटोरस, जेमिनी, लियो आदि अन्य तारामंडल के उदाहरण हैं।

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(Star) तारा किसे कहते हैं? (tara kya hai):

तारा एक ऐसा विशालकाय चमकीला आकाशीय पिंड होता हैं जो निरंतर ऊर्जा का उत्सर्जन करता रहता हैं। तारे के अंदर न्यूक्लिअर फ्यूजन की क्रिया होती रहती हैं और अपने अंदर स्थित हाइड्रोजन के तत्व हीलियम में बदलते रहते हैं। तारों का निर्माण आकाशगंगाओ में स्थित धूल एवं गैस के विशाल बादलों के संघनित होने से होता हैं।

हमारा सूर्य भी एक तारा हैं। प्रत्येक आकाशगंगा में अरबों तारें होते हैं। कुछ तारे सूर्य से भी लाखों गुना बड़े होते हैं। अंतरिक्ष में कुछ तारें युग्मों (जोड़े) में पाए जाते हैं जिन्हें युग्म तारा (Binary Star) कहा जाता हैं।

सुपरनोवा – Supernova Kya Hai?

जब किसी तारे की मृत्यु आरम्भ होती हैं तब इसके कोर (Core) में स्थित ईंधन समाप्त होने लगता हैं। इस मृत होते तारे में अंततः विस्फोट होता हैं जिससे कुछ समय के लिए काफी तीव्र प्रकाश उत्पन्न होता हैं। इसे सुपरनोवा (Supernova Explosion) कहा जाता हैं।

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White Dwarf:

सुपरनोवा के पश्चात छोटे तारे का अत्यधिक सघन कोर का अवशिष्ट भाग ‘व्हाइट ड्वार्फ’ कहलाता हैं।

Neutron Star (न्यूट्रॉन तारा):

किसी बड़े तारे में विस्फोट के पश्चात बचा अत्यधिक सघन कोर का अवशिष्ट भाग ‘न्यूट्रॉन स्टार’ कहलाता हैं। छोटे आकार के कारण न्यूट्रॉन स्टार काफी तीव्र गति से घूर्णन करता हैं एवं विद्युत् चुंबकीय (Electro Magnetic) किरणों का विकिरण करता हैं। ऐसे तारे को पल्सर (Pulsar) कहा जाता है।

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Black Hole:

सूरज से काफी बड़े तारे सुपरनोवा विस्फोट के बाद ‘ब्लैक होल’ (Black Hole) में परिवर्तित हो जाते हैं। अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण बल होने के कारण ब्लैक होल से कोई भी पदार्थ बाहर नहीं निकल पाता हैं यहाँ तक कि प्रकाश भी नहीं।

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(Nebula kya hai) नेबुला निहारिका किसे कहते हैं?

यह एक अत्यधिक प्रकाशमान आकाशीय पिंड हैं जो धूल कणों, गैस (हीलियम, हाइड्रोजन, अयोनाइज़्ड प्लाज्मा) से मिलकर बना होता हैं। इन नेबुला या निहारिकाओं में नए तारों एवं उनके ग्रहीय मंडल का जन्म होता हैं। इनमें उपस्थित धूल एवं गैस के बादल संघनित होकर धीरे धीरे विशालकाय तारों एवं अन्य आकाशीय पिंडो को जन्म देते हैं।

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Orion Nebula

क्वैसर (Quasors or Quasi-Stellar Radio Source):

ये वो आकाशीय पिंड है जो आकार में आकाश गंगा (Galaxy) से छोटे हैं, परन्तु उससे अधिक मात्रा में ऊर्जा का उत्सर्जन करते हैं। इस प्रकार के अत्यधिक चमकीले आकाशीय पिंडो की खोज की गयी, जिसका चमकीलापन (Luminosity) सूर्य से लाखों गुना अधिक हैं।

Astroid- क्षुद्रग्रह किसे कहते हैं?

अक्सर आपने टीवी या अखबारों में Astroid को लेकर चिंताजनक खबरें पढ़ी या सुनी होगी कि धरती की ओर एक क्षुद्रग्रह आ रहा हैं जो पृथ्वी से टकरा सकता हैं और ये जानकर हम सब परेशान होने लगते हैं।

तो क्षुद्रग्रह छोटे-छोटे आकाशीय पिंड हैं, जो मंगल एवं बृहस्पति ग्रह के बीच Asteroid Belt में स्थित हैं। यहाँ इनकी संख्या लगभग 45000 हैं। ये आकार में चन्द्रमा से भी काफी छोटे हैं जो कुछ मीटर से लेकर कई किलोमीटर तक के आकार के होते हैं। 4 Vesta एकमात्र क्षुद्रग्रह हैं जिसे आँखों से देखा जा सकता हैं।

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Planet- ग्रह किसे कहते हैं? (grah kya hai):

एक ऐसा आकाशीय पिंड जो अपने निश्चित वेग एवं निश्चित कक्षा में रहते हुए किसी तारे की परिक्रमा करता हैं एवं जिसका कोई अपना कोई प्रकाश नहीं होता हैं। उदाहरण के लिए हमारे सौरमंडल में पृथ्वी, मंगल और बृहस्पति जैसे कुल 8 छोटे बड़े ग्रह मौजूद हैं। ये सब सूर्य के चक्कर लगाते हैं।

Setellite- उपग्रह किसे कहते हैं? (upgrah kya hai):

ग्रह से थोड़े छोटे आकार वाले आकाशीय पिंड उपग्रह कहलाते हैं। ये किसी ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। इनका भी अपना प्रकाश नहीं होता हैं बल्कि ये तारों से प्रकाश ग्रहण करते हैं।

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Meteors (Ulka Pind Kya Hai?)

ये रात में टूटते हुए तारे की भांति प्रतीत होते हैं। ये वास्तव में ठोस पदार्थ हैं जो पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने पर घर्षण के कारण जलने लगते हैं एवं चमकीला प्रकाश उत्पन्न करते हैं।

कभी-कभी ये टुकड़े उल्का पात (Meteorite) के रूप में पृथ्वी पर गिरते हैं। इनमें लोहा एवं निकल जैसे भारी पदार्थों की प्रधानता होती हैं।

धूमकेतु – Comets (Dhumketu kya hai?):

ये आकाशीय पिंड धूल कण, गैसे, बर्फ आदि पदार्थों से पदार्थों से निर्मित आकाशीय पिंड है। ये सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सूर्य के निकट आने पर, सूर्य की ओर स्थित भाग के पदार्थों के वाष्पीकरण से इसके सिर (Head) का निर्माण होता हैं। इसकी पूंछ सदैव सूर्य से दूर होती हैं। टेम्पल- 1, हेलबॉप, हेली आदि धूमकेतुओं के उदाहरण हैं। हेली का धूमकेतु प्रत्येक 76 वें वर्ष में दिखाई देता हैं।

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Comets: अंतरिक्ष के रहस्य | Antriksh Ki Jankari

कुइपर बेल्ट (Kuiper Belt):

यह सौर मंडल का बर्फीय पिंड हैं जिसका विस्तार Neptune के कक्ष से सूर्य से 55 प्रकाश वर्ष की दूरी तक हैं। इस बेल्ट में तीन बौने ग्रह जैसे प्लूटो, होमीय एवं मेकमेक अवस्थित हैं। नेप्च्यून का ट्रीटन एवं शनि का फोएबी चन्द्रमा यहीं उत्पन्न हुए है। कुइपर बेल्ट की खोज वर्ष 1992 में की गई थी।

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ऊर्ट बादल (Oort Cloud):

यह खरबों बर्फीय तत्वों का गोलीय बादल हैं। इसके बारे में यह जाता हैं। सभी लम्बी अवधि वाले धूमकेतुओं का स्रोत हैं।

सौर पवन (Solar Wind):

सौर परिमंडल से निरंतर निकलने वाली कम प्रभावशाली प्रोटोन्स की तीव्रधारा (Plasma) जिसकी गति लगभग 640 किमी। प्रति सेकंड होती हैं सौर पवन कहलाती हैं। सूर्य की घूर्णन गति के कारण इसका आकार सर्पाकार होता हैं।

इनके साथ चुंबकीय क्षेत्र होता है जिसके कारण पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र इनको विक्षेपित कर देता है और कभी-कभी पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने पर ‘Polar Lights’ के रूप में दिखाई देती हैं।

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सौर ज्वाला (Solar Flames):

सूर्य से हर दिशा में प्रक्षेपित प्रोटोन्स (हाईड्रोजन अणुओं का नाभिकों) का बहुत अधिक उत्सर्जन कभी-कभी लगभग 700 किमी। प्रति सेकंड की गति तक तीव्र होकर कोरोना को पार करके अंतरिक्ष में चला जाता है जिसे ‘सौर ज्वाला’ (Solar Flames) कहा जाता हैं।

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Solar Flames

सौर कलंक (Sun Spot):

सूर्य के परिमंडल में दिखने वाले धब्बे जिनका तापमान सूर्य की सतह के तापमान (6000 C) से काफी कम (लगभग 1500 C) होता हैं। सम्भवतः यह चुंबकीय रेखाओं का बंद क्षेत्र हैं। सौर कलंकों की अधिकता के समय पृथ्वी पर चुंबकीय आंधियो (magnetic stroms) का जन्म होता हैं जिसका प्रभाव रेडियो, telivision, Wireless आदि पर पड़ता हैं।

तो फ्रेंड्स, आपको ये जानकारी ‘अंतरिक्ष के रहस्य, Antriksh Ki Jankari’ कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताये। साथ ही इस लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।

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By Rakesh Verma

Rakesh Verma is a Blogger, Affiliate Marketer and passionate about Stock Photography.

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